Wednesday, 22 February 2017

Mera Balatkaar

मेरा सेक्स जीवन बहुत बोरिंग था। पति तो बस चार धक्के मार के लुढ़क जाते। मैं अच्छी तरह से चुदना चाहती थी पर ये नहीं सोचा था की ऐसी चुदाई मेरे बलात्कार होने पे मिलेगी। एक जबरदस्त balatkar story हाज़िर है.

हाय ,मेरा नाम कनिका शर्मा हे और में जयपुर कि एक पॉश कॉलोनी में रहती हु। मेरी २ साल पहले ही शादी हुई हे और मेरे पति १ इंजीनियर हे जिनकी पोस्टिंग आजकल पुणे में हे। मेरे पति अमित के मम्मी पापा जयपुर ही रहते हे तो मुझे उनकी देखभाल के लिए उन्ही के पास रहना पड़ता हे। अमित हर ३ महीने में १ हफ्ते कि छुट्टी लेकर आ जाते हे तो हम पति पत्नी मिल पाते हे .,में अभी तक १५-१५ दिन के लिए २ बार पुणे गयी हु।मेरे और अमित के बिच सेक्स सम्बन्ध एक आम पति पत्नी कि तरह ही हे ,अमित जब जयपुर रहते हे तो रोजाना ही सेक्स करते हे,जब में पुणे गयी तो वंहा भी उन्होंने रोज ही सेक्स किया,पर उनका सेक्स करने का तरीका सीधा साधा से हे ,वो न तो कोई ज्यादा सेक्सी बात करते हे ,न ही कोई नया प्रयोग करते हे ,बस वो १०-१५ मिनट में मेरे उप्पर चढ़ जाते हे अपने धक्के लगाये ,खलास हुए और उतर गए उन्हें न तो ये एहसास होता हे कि में उत्तेजित हुई या नहीं या मे चरम उत्कर्ष पर पहुची या नही।
पर चूंकि अमित ने कभी मेरी योनि को प्यार नहीं किया तो मैं भी एक शर्मीली नारी बनी रही, मैंने भी कभी अमित के लिंग को प्यार नहीं किया। मुझे लगता था कि अपनी तरफ से ऐसी पहल करने पर अमित मुझे चरित्रहीन ना समझ लें।
सच तो यह है कि पिछले सालों में मैंने अमित का लिंग अपने अंदर लिया था पर आज तक मैं उसका सही रंग भी नहीं जानती थी… क्योंकि सैक्स करते समय अमित हमेशा लाइट बंद कर देते थे और मेरे ऊपर आ जाते थे। मैंने तो कभी रोशनी में आज तक अमित को नंगा भी नहीं देखा था। मुझे लगता है कि हम भारतीय नारियों में से अधिकतर ऐसी ही जिन्दगी जीती हैं… और अपने इसी जीवन से सन्तुष्ट भी हैं। परन्तु कभी कभी इक्का-दुक्का बार जब कभी ऐसा कोई दृश्य आ सामने जाता है तो जीवन में कुछ अधूरापन सा लगने लगता है जिसको सहज करने में 2-3 दिन लग ही जाते हैं।
हम औरतें फिर से अपने घरेलू जीवन में खो जाती हैं और धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाता है। फिर भी हम अपने जीवन से सन्तुष्ट ही होती हैं। क्कि हमारा पहला धर्म पति की सेवा करना और पति की इच्छाओं को पूरा करना है। यदि हम पति को सन्तुष्ट नहीं कर पाती हैं तो शायद यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमी है।
और यह भी जान जाईये कि लड़की को चरमोत्कर्ष पर लाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। हम औरतें झूठे ओर्गास्म का ड्रामा करती हैं ताकि मर्दों के अहम् को ठेस न पहुंचे। न जाने कितनी लड़कियों को चरमोत्कर्ष कभी नसीब नहीं होता और कितनों को एक ही सेक्स में तीन से चार बार हो जाता है। चरमोत्कर्ष केवल पांच-दस मिनट के सेक्स से नहीं मिलता, लगातार तीस मिनट की चुदाई से मिलता है, और जब मिलता है तब ‘हयो रब्बा’ क्या मज़ा मिलता है ! अंदर से सिकुड़न होती है और कान से धुंए निकल जाते हैं, बस आग ही आग बदन से टपकने लगती है।
आम तौर पर लड़कियों की चूत गीली ही रहती है और गीली और तब हो जाती है जब कोई उससे सेक्स की बातें करता है, या प्यार से छूता है, इसे पानी छोड़ना नहीं कहते हैं, पानी छोड़ने का अर्थ, लड़कियों के चरमोत्कर्ष को कहते हैं जो किस्मत वालियों को नसीब होता है वर्ना अक्सर लड़के मुठ चूत में निकालने के बाद पीठ फेर कर सो जाते हैं।
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चलिए ये बाते तो समय समय पर कहानी में आगे आती रहेंगी लेकिन अभी बात हम अभी वर्त्तमान कि ही करते हे। अब आप ही सोचिये जिस लड़की कि शादी के २ साल ही हुए हो और उसे साल में केवल कुछ समय ही चुदाई का मोका मिले तो उसका क्या हाल होता होगा वो ही मेरे साथ होता था। में अक्सर चुदाई के लिए तड़पती थी,किसी भी युवा लड़के को देख मेरी चूत गीली हो जाती थी,में बाज़ार जाती तो पेशाबघरों कि और जरुर नजर डालती क्य़ोंकि अक्सर उनमे से कोई न कोई पेशाब कर बहार निकलता होता और अपने लोडे को पेंट के अंदर कर रहा होता,उसके लोडे को देख कर ही में आह भर लेती जो कोई मेरी और देख लेता वो लोडे को इतनी देर में पेंट के अंदर करता कि मेरा मन ख़राब हो जाता।
पर मेरे ससुराल कि इस एरिया में बड़ी इमेज थी तो मुझे बड़े सावधान होकर रहना पड़ता,मेरे सास ससुर मेरा पूरा ख्याल रखते थे,लेकिन मेरी चूत कि खुजली का तो वो भी क्या ही करते। मुझे अपनी चूत कि खुजली वो ही अंगुली करके या मूली बेंगन से शांत करनी पड़ती।
mera balatkar story
मैं तो चुदाई के सपनो में सोयी थी
देखा जाये तो मेरी ज़िंदगी यूही गुजर रही थी, अमित महीने में जब भी आते उनके पास वैसे ही घर के काफी काम होते,काम करने के बाद रात को थके हारे जब वो मेरे पास आते तो चुदाई का उनका मूड होता तो वो कर लेते ,उन्हें इस बात से कोई मतलब नही था की में चरम सुख हासिल कर सकी या नही।
इधर अब मेरे सास ससुर भी मेरे अकेलेपन को सोचने लगे थे की में चांस ले लू और अगर बच्चा हो जायेगा तो अमित की काफी हद तक कमी भी पूरी हो जाएगी। उन्होंने अपनी इस इच्छा को अमित को भी बता दिया था,लेकिन अमित भी जानते थे की उनसे ये काम भी होना कितना मुश्किल हे।
में घर पर अकेले पड़ी पड़ी बोर होती रहती,कभी में घर से बहार जाती तो हर मर्द को में नदीदी निगाहो से देखती रहती,मन ही मन उसके लंड की कल्पना करती ,कभी सोचती की ये अगर मेरी चुदाई करे तो मुझे किसी ख़ुशी मिलेगी,कोई मर्द मेरी निगाहो को ताड जाता तो वो मुझे लाइन देने की कोशिश भी करता लेकिन में ही डर के मरे पीछे हट जाती।
कॉलोनी के कई नौजवान भी जब में अकेली जाती तो कोई जुमला उछाल देते कभी कोई कमेंट कर देते पर में किसी का बुरा नही मानती बल्कि मुझे ख़ुशी ही होती की अभी भी मेरे कई दीवाने हो सकते हे।
बहार जब में जाती तो अक्सर चुस्त जींस पहनती और उसके उप्पर शार्ट टॉप। यदि कोई मेरी जींस को धयान से देखता तो वो मेरी ब्रीफ लाइन का आसानी से अंदाजा लगा सकता था और अगर कोई ज्यादा ही होशियार हो तो वो मेरी चूत का भी अंदाजा लगा सकता था।
अब में आपको वो वाकया बताती हु जिसने मेरी ज़िंदगी बदल कर रख दी,हुआ यू की मुझे अपने एक कजिन की शादी में आगरा जाना पड़ा ,अमित को छुट्टी नही मिली तो मेरे को अकेले ही आगरा जाना पड़ा,मेरा कजिन बॉबी मुझसे २-३ साल बड़ा था ,वो छोटा था उससे बड़े एक भाई और थे जिनका नाम केशव था और वो शादीशुदा थे।
में पहुंची तो बहुत थक गयी थी और रात भी हो चुकी थी।मैंने गुलाबी साटन कि साड़ी और और ब्लाउज पहन रखी थी !अंदर जौकी कि ही मैचिंग ब्रा और पॅंटी पहनी थी !सर में दर्द था और चक्कर भी आ रहे थे !मैंने सोचा कि दवा खा कर थोड़ी देर लेटती हूँ ,फिर नाईट ड्रेस पहन लुंगी !बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई ,पाता नहीं चला !करीब पांच बजे सुबह नींद खुली तो कुछ अजीब सा लगा !साड़ी पूरी उठी हुई थी ,पेटीकोट के साथ !पैंटी में बहुत गीलापन था !ब्रा के हुक अंदर से खुले थे और निप्पल के पास पूरा गीला था !मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये और बाथरूम भागी !पैंटी उतारते ही मैं चौंक गयी,क्योकि पैंटी उलटी थी !मैंने ज़िन्दगी में कभी उलटी पैंटी नही पहनी थी ,और मुझे पूरा विस्वास था कि कल भी मैंने सीधी पहनी थी! ब्लाउज उतारा तो देखा कि ब्रा का सिर्फ एक हुक लगा है वो भी गलत जगह !इसका मतलब था कि किसी ने मेरी ब्लाउज और ब्रा खोली,पैंटी उतारी और वापस पहना दिया !मेरे चिकने चूत पर भी एक चमक थी,जैसे किसी ने उसको रगड़ रगड़ के साफ़ किया हो !मेरे तो होश उड़ गए कि कौन हो सकता है ,क्या किसी कजिन ने मजाक में ये किया है या किसी मर्द ने !ताज़्ज़ुब इस बात का था कि मुझे पाता नहीं चला !किसी तरह इस टेंशन में मैं तैयार होकर नीचे उतरी ,ज़िन्दगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था ! किसी से कुछ पूछना या बोलना मेरे लिए असंभव था ! एक बार सोचा की अमित से बात करूँ ,पर मुझे लगा कि अभी तो क्या ,मैं पूरी ज़िन्दगी यह बोलने का साहस नहीं कर पाउंगी ! किचन से चाय लेकर निकली तो देखा कि केशव भैय्या बाहर से वापस आ रहे थे ! उन्होंने पुछा कि तबियत कैसी है , मैंने हाँ में सर झुकाया ,और आगे बढ़ गई !बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी ! चूत बहुत ज्यादा कोमल लग रही थी ! पैंटी के साथ हलकी सी रगड़ भी सनसनाहट दे रही थी !मेरे लिए ये नया अनुभव था ! कौन है वो जिसने मेरे अंगों से खेला है !औरत होने के नाते एक बात का मुझे पक्का यकीन था कि मेरे साथ सेक्स नहीं हुआ है ,पर बाहर से किसी ने जी भर के चूमा चाटा है ! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था ! मैं इतनी बेहोश कैसे हो सकती हूँ कि मुझे पता नहीं चला !दिन भर रिश्तेदारों के साथ बातें होती रही ! दिन में आराम का मौका ही नहीं मिला ,जिससे थकावट बहुत ज्यादा हो गई थी !! शाम होते होते मुझे बहुत ज्यादा थकावट होने लगी थी !मैंने खाना शाम को ही खाया था ,इसलिए रात को खाना नहीं खाना था !मेरी मौसी ने कहा कि मैं जा के आराम कर लूँ !मैंने कह दिया कि अब मैं रूम में जा रही हूँ सोने के लिए ! ऊपर रूम में आकर मैंने कपड़े बदलने कि सोची , नाईट ड्रेस पहना और दवा खाकर सोने चली गई ! नाईट ड्रेस के साथ मैं ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी ! दिमाग में कल कि बातें चल रही थी !मैंने सोच लिया था कि अगर आज ऐसा कुछ हुआ तो मैं जरूर पकड़ लुंगी उस अनजान चेहरे को !शाम के ७ बजते बजते मुझे गहरी नींद आ गई !देर रात मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे चूत को जीभ से चाट रहा है !मैं डर के मारे आँख नहीं खोल पाई !

मेरी नाईट ड्रेस ऊपर गर्दन तक उठे हुए थे , अजनबी के दोनों हाथ मेरे चूची को सहला रहे थे !कमरे में हलकी रौशनी तो थी, पर आँखें खोल कर देखने का साहस मुझमे नहीं था !चूत चाटने वाला बड़े आराम से चूत का कोना कोना जीभ से साफ़ कर रहा था , कोई जल्दी नहीं लग रही थी ! पूरा बदन सनसना रहा था ! कि अचानक .,,,अचानक मेरे पूरे बदन में एक तनाव सा आया , और लगा जैसे मेरी चूत से फौवारा छूटा है ! उसके बाद मेरे कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल ही ढीला पर गया !शायद अज़नबी को कुछ शक हुआ की मैं जाग रही हूँ !थोड़ी देर के लिए सब कुछ शांत हो गया !मैं समझी की चलो बला टली !मैं चुप चाप लेटी रही !मैं यह चाहती थी की अजनबी को लगे कि मुझे कुछ पता नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ !मैं किसी आहट का इंतज़ार कर रही थी कि उसके जाते जाते मैं उसे देख पाउ और कम से कम ये जान तो लूँ कि ये कौन है !कुछ समय ऐसे ही बीत गया !मैं चाहती थी कि जल्दी से मैं नाईटी को नीचे करू ,क्यूकि नंगे बदन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था !मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे साथ ऐसा हो सकता है !अमित ने भी मुझे कभी नंगा नहीं किया ! बस अँधेरे कमरे में नाईटी कमर तक उठा कर जो भी उससे बन पड़ता था ,कर लेता था !मुझे भी सेक्स के बारे ज्यादा पता नहीं था ,जीभ से चूत को चाटा जाता है , ये तो बिलकुल मेरी समझ के बाहर था ! मुझे बस एक ही बात अच्छी लगी थी कि मेरी चूत ने उसे बहुत पसंद किया था और पहली बार मुझे पूरा संतोष लग रहा था !लेकिन अनजाने मर्द का ख्याल आते ही मन घृणा से भर गया ! मैं किस मुह से अमित के सामने जाउंगी ,मेरे दिमाग में ये बात चल रही थी !मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मैंने अमित के साथ धोखा किया !लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी !जब पहली बार मेरी चूत और चूची चाटी गई, तो मुझे पता भी न चला , अब आज अगर रोक भी लेती तो दाग तो लग ही चूका था मेरे दामन पे ! इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे !वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था और बीच बीच में चूत में भी थोड़ा सा घुसा कर आगे पीछे कर रहा था ! अज़नबी की ऊँगली अमित के लण्ड से मोटी थी ! फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था !फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया !जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था ,मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था !शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी !बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा !शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली !हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये ! उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था !अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया , जैसे मैं करवट ले रही हूँ !लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया ! शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे !अब मेरे बगल में अजनभी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया !बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे !अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा !मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था ,और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है ,क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ,लेकिन अमित के साथ मैं मरते दम तक बेवफाई नहीं कर सकती थी ! काश ये सब अमित कर रहा होता , मैं तो गुलाम बन जाती उसकी !
अब बस और नहीं , मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और ऑंखें खोल दी !आँखें खोलते ही जैसे भूचाल आ गया !मैं पूरी जोर से चीखी….केशव …भैया आप !लेकिन मेरी चीख में उतना जोर नहीं था कि वो आँगन के उस पार सो रहे लोगों तक पहुँच पाती , और फिर भइया ने अपना हाथ मेरे मुंह पर रख दिया था जिससे रूम में ही मेरी आवाज़ दब कर रह गई ! मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि भैया मेरे साथ ऐसी हरकत कर सकते हैं ! हैरानी कि बात ये थी कि मेरे जागने के बाद भी भैया को कोई डर या पछतावा नहीं था !मेरा मुंह उन्होंने बंद कर रखा था ! मेरी आँखों में आंसू थे ! भैया ने बोला , देखो , अगर तुम चिल्लाओ नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह पर से हाथ हटाउ ! मेरा मुंह गुस्से से लाल हो रहा था !भैया के भारी हाथ के कारण मेरा मुंह दर्द कर रहा था ! मैंने आँखों से ही उनसे रिक्वेस्ट किया , उन्होंने फिर पूछा ‘चिल्लाओगी तो नहीं’ ! मैंने पलकें झपका कर ना कहा !उन्होंने कहा ‘प्रॉमिस ‘,और हाथ थोड़ा हल्का किया ,मैंने दबी जबान में बोला ‘प्रॉमिस ! उन्होंने हाथ हटा लिया था !मैंने गिरगिराना शुरू कर दिया . भैया आप ये क्या कर रहें हैं ..मैं आपके छोटे भाई कि बीवी हूँ ,!आप ऐसा मत कीजिये मेरे साथ !मुझे छोड़ दीजिये , मैं किसी से नहीं कहूँगी ,कि आपने मेरे साथ ऐसा किया !भैया ने कहा ‘ठीक है, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा लेकिन एक शर्त पर ‘!मुझे आपकी सब शर्त मंजूर है भैया , बस आप मुझे छोड़ दीजिये !
भैया बहुत शर्मिंदा लग रहे थे ,बोले ‘देखो ,मैंने ऐसा क्यों किया ,ये मैं बाद में बताऊंगा तो शायद तुम मुझे माफ़ कर सको ! मैंने कल और आज तुम्हारे शरीर के हरेक अंग को छुआ है ,लेकिन तुम नींद में थी !मैं सिर्फ १० मिनट तुम्हारे जागते हुए तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ , तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ ,जो मैंने कल और आज किया है, तुम्हारी नींद में ! लेकिन जो भी मैं करूँगा वो अपने संतुष्टि के लिए करूँगा ,तुम उसमे बिलकुल शामिल न होना !अगर तुम्हारे शरीर ने मेरा साथ दिया , तो तुम शर्त हार जाओगी , और मैं समझूंगा की ये सब तुम्हें अच्छा लग रहा है ; फिर तुम वही करोगी जो मैं चाहूंगा ! और अगर तुम दस मिनट तक बगैर किसी उत्तेज़ना के चुप चाप लेटी रही तो ,मैं ज़िंदगी में कभी दुबारा तुम्हारी साथ ये सब नहीं करूँगा !
मैं बहुत असंजस में फँस गई थी , एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था ,दूसरी तरफ भैया से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ !वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी !
जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा.मैंने कह दिया ,”मुझे मंजूर है..”
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——–क्रमशः——–
मैं फंस चुकी थी और मैंने भैया को एक मौका दे दिया। इस blatkar story में आगे क्या होता है, जल्दी ही आखिरी पार्ट आएगा..
मैं बहुत असंजस में फँस गई थी , एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था ,दूसरी तरफ भैया से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ !वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी !
जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा.मैंने कह दिया ,”मुझे मंजूर है..” लेकिन आप भी प्रॉमिस कीजिये कि मेरे शर्त जीतने पर मुझे कभी नहीं छुएंगे” ! मेरे बोलने के दौरान ही भैया ने मेरी नाईटी गर्दन से निकल कर अलग कर दी ,और पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गए !उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा प्रॉमिस और उनके होंठ मेरे होंठ से सिल गए और हाथ मेरे पूरे बदन को सहलाने लगे ! मैंने नज़र उठा कर देखा ,सुबह के चार बज़कर १० मिनट हो रहे थे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था !जो भी करना था , उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती , वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे ! उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था ,जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी ! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं , पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था ! अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! गावं आने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे ,बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी ,जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे ! मेरी चूची भैया के हाथों रौंदी जा रही थी ! भैया के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे ,जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को भैया ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था ,एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !भैया दवाब भी इतना ही बना रहे थे ,जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे , तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग भैया का जुल्म सह रहे थे ! बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो , पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे , और मैं टूटने के कगार पर थी
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अब तो बस उनका लंड चाहिए था मुझे
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पर अमित का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी ! अब भैया ने चूमना धीमा कर दिया था , होठ को धीरे से हटाकर मेरे गालों को चाटने लगे , फिर कान और गर्दन !जब वो कान के पीछे और गर्दन को चारो तरफ से चूमते चाटते थे , तो उनकी गर्म साँसे मुझे पागल कर देते थे !थोड़ी देर बाद वो चूचियो तक पहुंच गए ! कभी बायीं चूची तो कभी दायीं चूची मुंह में लेते और हल्का सा दांत मेरे निप्पल पर लगा देते ,मेरी सीत्कार निकल जाती थी ! मेरी चूत का तनाव बढ़ता जा रहा था, लगता था अभी बिस्फोट हो जायेगा ! चूत से पानी लगातार निकल रहा था ,जो मेरी जांघों से होकर बिस्तर गीला कर रहा था ! मेरे गोर चिट्टे बदन पर अब लाल लाल निशान बनने लगे थे !भैया जब भी चूची जोर से चूसते तो मुझे लगता कि अगर मेरा बच्चा होता तो मुझे ऐसा ही महसूस होता ! आज पहली बार मुझे पता लग रहा था कि मेरे बदन मुझे इतना सुख दे सकते है ! पूरी जिंदगी में जो नहीं मिला वो आज ५ मिनट में मिल गया था !जब भैया ने चूमना शुरू किया था तो अमित मेरे दिमाग पर छाए हुए थे , पर अब वो बीच बीच में याद आ रहे थे और मैं अपना नियंत्रण बनाने कि कोशिश कर रही थी !
भैया अब बिस्तर पर बैठ गए थे, अपने दोनों पैर मोड़ कर ! मेरे दोनों पैर उन्होंने अपने दोनों तरफ फैला दिए और मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए ! अब उनके मुंह के सामने मेरी चूत थी ! मैंने इससे ज्यादा शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं किया था ! शायद मैं अमित को भी ये नहीं करने देती !भैया नें कमर के नीचे हाथ डाल कर मेरे निचले हिस्से को ऊपर उठा लिया और भैया ने मेरी गुदा के छेद से नाभी तक जीभ फिरानी शुरू कर दी ! मैं एक खिलोने कि तरह उनके हाथ में थी ! कितनी ताक़त थी उनके हाथों में और उतनी ही नाजुक उनका स्पर्श था मेरे अंगो के लिए ! उनके चाटने से मेरी हालत पागलों वाली हो गयी थी ! चूर फड़फड़ा रहे थे ! हर स्पर्श से बदन सिहरन से भर जाता ! पूरा कमरा चाटने कि आवाज़ से संगीतमय हो गया था ! अब उन्होंने मेरे चूत को अपना निशाना बनाया !जीभ अंदर बाहर करने लगे !एक हाथ कि ऊँगली भी मेरे चूत के आस पास ही फिसल रही थी ! अचानक पता नहीं भैया ने कौन सी जगह छू दी, मुझे एक करंट सा अनुभव हुआ और मेरे चूत ने जोर से पानी का फौवारा मारा ! मुझे लगा ,जैसे मैंने झटके में जोर से पेशाब कर दिया हो !भैया का पूरा चेहरा भीग गया होगा , सोच कर ही मैं शर्म से मरी जा रही थी !पिछले कुछ देर में मुझे अमित बिलकुल याद नहीं आये , पर जैसे ही भैया ने मुझे नीचे रखा , अमित मेरी नज़रों के सामने महसूस होने लगे ! मैंने बहुत मुश्किल से अपने को सम्हालने कि कोशिश की, पर न तो शरीर काम कर रहा था , न ही मन ! आज मुझे समझ में आ गया था कि, औरत क्यों अच्छी चुदाई के आगे, लोक लाज की परवाह नहीं कर पाती है ! मैंने हल्का सा आँख खोलने कि कोशिश की ! दीवार पर टंगी घड़ी अभी भी ढाई मिनट का टाइम बचा हुआ बता रही थी ! मैं अब निराश होने लगी थी ! पता नहीं भैया अब क्या करने वाले है ! वैसे अगर वो इस वक़्त अपना लण्ड भी मेरी चूत के अंदर डाल देते , तो मैं शायद मन नहीं कर पाती ! लेकिन भैया की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी, कि उन्होंने अपना लण्ड अभी तक इन सब से अलग रखा था ! भैया अब मेरे बराबर करवट लेकर लेट गए थे ! एक हाथ को मेरे सर के पीछे से ले जाकर मेरी बायीं चूची को मुट्ठी में लेकर दबाने और सहलाने लगे ! दूसरा हाथ मेरी चूत पर हाथ फ़िर रहा था !फिर अचानक एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी ! मेरी चीख निकली पर तब तक उन्होंने जीभ मेरे मुंह में घुसेड़कर कर मेरे मुंह को बंद कर दिया ! फिर से एक साथ भैया के हाथ ,मुंह ,ऊँगली सब अलग अलग काम कर रहे थे !मैं हैरान थी कि , इतना परफेक्शन कितनी प्रैक्टिस के बाद आया होगा , वो भी एक 45 साल के ऊपर के इंसान को ! मैं चुप चाप लेटी थी , फिर भी थक के चूर थी , और वो पुरे जोश के साथ लगे हुए थे ! एक बार ख्याल आया कि काश अमित में ये सारे गुण होते , तो पराया मर्द मुझे हाथ लगाता, इससे पहले मैं जान दे देती !भैया ने अपनी कारवाही जारी रखी , कभी ये चूची तो कभी वो चूची ! कभी ऊँगली कि स्पीड बढ़ा देते और कभी घटा देते ! कभी उस अनजाने स्पॉट को दबा देते ! उन्होंने जीभ से मेरे मुंह के अंदर का कोना कोना चूस लिया था ! मुझे पता भी न चला कि मैं मस्ती में सीत्कार मार रही थी ,भैया के जीभ को चूस रही थी और एक हाथ से भैया कि पीठ को सहला रही थी !सब कुछ अपने आप चल रहा था , मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है , कौन सी शर्त थी और हार जीत पर क्या होना था !फिर अचानक चूत में एक जोर का भूचाल आया और सबकुछ शांत सा हो गया ! भैया ने हलके से जीभ बाहर निकली ,और मेरे कान में बोले, , तुम शर्त हार गयी हो ! मैं जैसे बेहोशी से जागी ! मुंह से मुश्किल से निकला कैसे ? भैया बोले , मैंने तुम्हारे अंदर सिर्फ ऊँगली रखी है ! मुझे झटका सा लगा , ध्यान दिया तो महसूस हुआ कि भैया कि ऊँगली मेरी चूत में स्थिर है और मैं नीचे से उसे अंदर बाहर कर रही हूँ !फिर ध्यान में आया कि मैं भैया कि पीठ भी सहला रही हूँ ! मैं जैसे नींद से जागी , निराशा भरी नज़रों से भैया को देखा और हारे हुए जुआरी कि तरह सर झुका लिया,अभी भी ३० सेकंड बचे थे !अब मैं समझ गयी कि भैया ने मुझे छल से जीत लिया था ! मेरे लिए अपनी बात से वापस होना नामुमकिन था !मुझे बहुत जोर कि पेशाब आ रही थी ! बाथरूम जाना था, पर हिल नहीं पायी! भैया ने मेरी नाइटी बिस्तर से उठाकर , टेबल पर रख दिया और अपना कुर्ता उतार दिया ! बालों से भरा चौड़ा सीना मेरे सामने था ! भैया ने पजामा भी उतार दिया !अब सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने थे ! मेरी सूनी ऑंखें आंसुओं से भरी हुई थी ! अमित आज मुझसे दूर हो रहा था , और भैया मेरे चूत के ख्यालों में मुस्करा रहे थे ! उनके बिस्तर पर लेटने से पहले ही मैंने कहा , मुझे बाथरूम जाना है !उन्होंने सहारा दिया , पर मैं सम्हल नहीं पायी और उनकी बाँहों में झूल गयी ! उन्होंने मेरी हालत समझी और मुझे गोद में उठा लिया, और बाथरूम की तरफ चल पड़े ! उनके बालों से भरे सीने में मेरे मुंह था , अजीब सी मरदाना खुश्बू मुझे पागल करने लगे ! भैया ने मुझे सीट पर बिठाया और खुद बाहर चले गए ! जाते जाते दरवाजे को ठीक से लगाते गए !उन्होंने कहा , मैं बाहर हूँ , आवाज़ दे देना ! मैंने लगातार पता नहीं कितनी देर तक पेशाब किया , बाथरूम में आवाज़ गूँज रही थी ! फिर पता नहीं मुझमे कहाँ से इतनी हिम्मत आई , मैंने दरवाज़े तक पहुँच कर अंदर से बाथरूम बंद कर ली ! अमित मेरे दिमाग पर फिर से हावी थे ! मैंने सोच लिया की कम से कम आज नहीं चुदूँगी ! भैया बाहर से आवाज़ लगाते रहे , मुझे वादाखिलाफी करने के लिए कोसते रहे , पर मैंने कहा भैया , आज प्लीज मुझे माफ़ कर दो ! मैंने वादा नहीं तोड़ा है ,पर आज में इस हालत में नहीं हूँ ! चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आने लगी थी , यानि सुबह हो चुकी थी ! भैया सुबह के सैर के लिए निकल गए थे शायद. अलग ही रूप में नज़र आ रहे थे !

कल तक भैया से जो मज़े मैंने आँख मूँद कर लिए थे ,अब दिन में भी वो मेरी आँखों के सामने आते रहे ,शाम होते होते जब मेरा मन मेरे काबू में नही रहा तो में भैया के रूम की और चल दी और जाते ही उनसे लिपट गयी ! धीरे धीरे उन्होंने मुझे अपने बाँहों में पूरी तरह से ले लिया ! हम बैठे थे दिवार के सहारे पलंग पर !मैं जैसे भैया की गोदी में ही थी , वो मुझे चुम रहे थे ,और मैं भी बीच बीच में चुम कर जवाब देती थी ! कभी कभी तो हमारे चुम्बन की आवाज़ पूरे कमरे में फ़ैल जाती थी ! उनका एक हाथ मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से दबा रहा था ! मेरे टॉप में इंतनी सलवटे पड़ गई थी , की लगता था अभी धो के निचोड़ा है ! भैया बोले , कपड़े ख़राब हो जायेंगे , उत्तर लो ! मैंने कहा जब आपका मन हो, उतार दीजियेगा , आज से ये आपका काम है !वो मेरी बात सुनकर और भी जोश में आकर चूमने लगे ! बोले ‘ रात को तो गालियाँ दे रही थी , और अब इतना प्यार’ ! भैया जो आपको गालियाँ दे रही थी , वो एक शादीशुदा औरत थी , और अब ये वही औरत अपने दोस्त से कह रही हे !भैया बोल पड़े , तुम दिल से भी बहुत खूबसूरत हो ! अब तो मैंने मन ही मन आपको भी पति मान लिया है , आखिर पति का असली सुख तो आपसे ही मिल रहा है !भैया बहुत भावुक हो गए , उन्होंने मुझे चूम चूम कर निहाल कर दिया ! अब भैया मेरा टॉप खोल रहे थे ! टॉप खोलने के बाद ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगे ! फैंसी चिकनी ब्रा भैया को बहुत अच्छी लगी !उन्होंने स्कर्ट ऊपर कर के पैन्टी भी देखी , मैचिंग थी ! तुहारी ब्रा पैन्टी बहुत सेक्सी होती है , कपडे का तुम्हारे पसंद का जवाब नहीं ! तुम कई गुना सुन्दर लगने लगती हो ! पैन्टी को सहलाते हुए भैया बोले , तुम तो तैयार बैठी हो , गीली है तुम्हारी पैन्टी ! जो घडी आने वाली है , उसको सोचते ही , मैं गीली हो जाती हूँ ! भैया ने पैन्टी उतार दी , हाथ में लेकर सूँघा और चूम लिया ,मैं शर्मा गयी ! टॉप को उतार दिया और मुझे लिटा कर खुद मेरे बगल में लेट गए !मेरे ब्रा के चारों तरफ चूमते रहे , जीभ से चाटते रहे, और धीरे धीरे उतारते रहे ! ऐसा ब्रा उतारना मुझे बहुत अच्छा लगा ! स्कर्ट उतार कर बिस्तर पर अलग रख दिया ! अब सिर्फ पेंटी रह गयी थी , जिसे भैया ने घुटनो तक खिसका दिया और मेरे चूत को चूमने लगे ! चूत उन्होंने कल भी चूसा था पर मेरी ऑंखें बंद थी ! मैंने भैया का सर हिलाया ,बोली मैं देखना चाहती हूँ ! उन्होंने तकिये के सहारे मुझे थोड़ा उठा दिया !भैया जीभ से मेरी चूत को चाट रहे थे और मेरा रोमांच बढ़ता जा रहा था ! अचानक भैया ने मेरी खास जगह मसल दी , चूत से फौवारा छूट गया , मैं रोक न सकी और , पीछे तकिये पर लेट गयी ! थोड़ा होश आने पर दुबारा देखा , भैया के पूरे मुंह पर पानी के छींटे थे , जैसे अभी भीग के आ रहे हों बरसात में ! मुझे बहुत शर्म आई , और भैया से नज़र मिलते ही शर्मा गयी !भैया फिर से जीभ मेरी चूत में घुसा कर इधर उधर ऐसे घुमा रहे थे , जैसे कुछ ढूंढ रहें हों ! चपड़ चपड़ की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था ! मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी ! फिर भैया मेरी चूचियो का जायजा लेने लगे ! चूस चूस कर लाल कर दिया , दबा दबा कर उसे मुलायम कर रहे थे ! घुंडी तो बिलकुल कड़क हो गयी थी ! सच में मैंने कभी अपने बदन को इतना कीमती नहीं समझा था ! भैया ने समझा दिया था की असली खज़ाना यही है ! भैया मेरे ऊपर लेट गए थे , मेरे दोनों हाथों में अपना हाथ फंसा लिया था , और मुझे गर्दन , कान , कान के पीछे चूमने चाटने लगे ! मैंने कहा की भैया आपका हाथ मुझे जांघ पर चुभ रहा है , उन्होंने कहा , हाथ तो दोनों तुम्हारे हाथ में है ! अचानक मेरे दिमाग में जैसे बिस्फोट हो गया , मुंह से निकला “बाप रे” ! वो हाथ जैसी चीज़ भैया का लण्ड था ! मेरे तो होश उड़ गए , इतना बड़ा , मैं कैसे ले सकूँगी अपने अंदर ! भैयाशायद समझ गए , बोले ‘पगली घबराती क्यों है ‘ सब कुछ आराम से हो जायेगा , तुम बस मेरा कहा करती जाओ !भैया ने अपना कुरता पजामा उतारा , और अंडरवियर उतार दी ! काला, मोटा और डंडे सा लम्बा लण्ड हवा में लहरा रहा था ! मैं तो बेहोश हो जाती लण्ड देखते ही , पर भैया बोले , घबराओ मत , मैं पहले तुम्हें इसके लिए तैयार करूँगा , फिर थोड़ा थोड़ा कर के पूरा अंदर करूँगा ! देखो आज जीता ले सकती हो , ले लो ,फिर अगले बार थोड़ा और ले लेना !भैया ने मुझे लिटा कर , अपना लण्ड मेरे चूत पर सहलाना शुरू कर दिया , लण्ड से धागे की तरह लसलसा पानी चू रहा था !भैया ने अपना लण्ड मेरे चूत के छेद पर रखा ! मेरी चूत काफी ढीली होकर फड़फड़ा रही थी !भैया ने जगह बनाते हुए अपने आप को मेरे ऊपर कर लिया , मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद किया और हाथों को अपने हाथों से जकड लिया ! हल्का सा एक धक्का औरभैया का सुपाड़ा अंदर लगा जैसे कोई दीवार गिरी थी चूत के अंदर , मेरी जान भी बाहर होने को थी ! मेरी चीख भैया के मुंह में रह गयी ! थोड़ा सा और अंदर गया लण्ड ,फिसलन की वज़ह से जो भैया ने चूस चूस कर बनाया था ! मुझे लगा किसी ने दो टुकड़े कर दिए मेरे ! जांघ के बीचों बीच कील ठोक दिया था भैया ने ! दो मिनट तक सब कुछ शांत रहा , मैं कुछ नार्मल हुई , और भैया ने आगे पीछे करना शुरू किया ! लग रहा था की चूत की दीवार ता चला गया है भैया का लण्ड ! एक बार उठकर देखना चाहा , भैया ने थोड़ा ऊपर उठकर दिखाया , अभी आधा लण्ड बाहर ही था ! अंदर बहुत जलन हो रही थी , लगता था चूत फैट गयी है और खून बह रहा है ! मैंने कहा , भैया आज इतना ही ! भैया समझ गए , उन्होंने उतने तक ही अपना लण्ड आगे पीछे करना जारी रखा ! हवा भी अंदर नहीं जा सकती थी, इतने टाइट होकर लण्ड अंदर बाहर हो रहा था ! मुझे मज़ा आने लगा था , अब भैया भी पूरी मस्ती में आ गए थे ! मैं बार बार पानी छोड़ रही थी चूत में, जिससे बहुत फिसलन हो गयी थी ! भैया ने स्पीड बढ़ा दी , मेरा अब तक का सबसे बड़ा झरना अब बह निकला ,तभी जैसे चूत में गरम पानी का नलका खोल दिया हो, भैया ने पिचकारी छोड़ दी ! कमरा वीर्य के खुसबू से भर गया ! भैया झड़ते रहे, लण्ड सिकुर्ने लगा , और भैया ने दवाब बना कर पूरा लण्ड अंदर ठोक दिया ! लण्ड में ढीलापन आ रहा था , लेकिन असली मर्द ने अपना जादू एक लड़की को दिखा कर उसे अपना गुलाम बना लिया था !
 
 

Shadi Shuda Bhen Ki Pyas Bujhai

मैं 20 साल का और अभी तक कोई चूत नसीब नही हुई थी. अपनी शादीशुदा बहन को देखके मेरा लंड खड़ा और मैंने उन्ही को अपने लंड के उद्घाटन के लिए चुना. पता चला की वो भी प्यासी थी. अपनी दीदी की चुदाई की hot hindi sex kahani पेश है..
मेरा नाम शशांक है,उमर 20 साल का एक नौजवान लड़का हूँ, मैं गंगापुर सिटी में रहता हूँ,मैं छोटा सा बिज़्नेस करता हूँ, साथ ही साथ पड़ता भी हूँ, यह मेरी और मेरी बहन सुमन की चुदाई की कहानी है. सुमन मेरे बारे अंकल की लड़की यानि मेरी चचेरी बहन है. सुमन 22 साल की है. उनकी शादी हो गई है एक 2 साल की बच्ची भी है. सुमन बहुत ही सुन्दर है,उसके छोटे छोटे बूब्स, काले काले बाल , भूरी आंखें, बूब्स एक दम उभरे हुए.जैसे की पहाड़ की छोटी है. वह बहुत पहले से मेरे ओर आकर्षित होती थी पर मैं बहन को चोदना नहीं चाहता था,
बहन की शादी के वो बहुत कम यहां आती है, डेट की बात है वह यहां आई है, ,सुमन मेरे कमरे में आई और बोली शशांक कैसे हो मैंने कहा ठीक हूँ, और मामी अंकल से मिलने चली गयी
मैंने बहन भाई की चुदाई की कहानी बहुत सी पड़ी है मैंने सोचा चलो कोई और नहीं मिल रही है तो बहन को ही चोद देता हूँ,अगले दिन को प्लान फिट था क्या करना है 11 AM को सुमन मेरे कमरे पास आई आते हुए मैंने देख लिया था.


मैंने लॅपटॉप में BF लगा कर देखने लगा वो दरवाजे पे से देखने लगी और कुच्छ बोली नहीं 10 मिनट बाद मैंने BF बंद कर दी और पीछे मुड़ा तो वह खड़ी थी मैंने कहा सुमन आप कब आई वो बोली जब तुम ये गंदी फिल्म देख रहे थे, मैंने कहा कब उसने कहा अभी को, मैं उठ कर सुमन के पास गया और सुमन का हाथ पकड़ कर कमरे में खिच लिया. कहने लगा सुमन आप किसी को नहीं कहेगी वो बोली कहूंगी मैंने कहा आप ऐसा नहीं कर सकती उन्होंने कहा क्यों मैंने कहा .

अभी बताता हूँ मैंने उनके सीर को पकड़ कर अपने होठों से उनके होठों को किस करने लगा वो उूआअ या क्या कर रहे हो मुझे छोडो, मैंने नहीं छोडा 5 मिनट तक किस किया और छोड दिया वो बोली तुम बहुत बेकार हो अपनी बहन के साथ ऐसा करते हुए शर्म नहीं आ रही है मैं बोला भाई के सामने BF देखते हुए आप को शर्म नहीं आ रही है, मैंने दरवाजा को बंद कर लिया वो बोली ये क्या कर रहे हो मैंने कहा कुच्छ नहीं प्यार करने जा रहा हूँ मैं सुमन के पास गया, उनकी शरीर को खिच कर नीचे कर दिया वह गुलाबी शरीर गुलाबी ब्लाउज, और वाइट ब्रा पहनी थी जो बेलौस में से एक दम साफ दिख रही थी उनको शरीर से उतनी चाही पर मैंने उन्हें पकड़ कर उनके बेलौस के ऊपर से बूब्स को दबाने लगा सुमन ने आंख बंद कर ली मैंने बेलौस के स्तनों को खोलना शुरू किया और उसे निकल दिया क्या, शरीर को भी खिच कर खोल दिया अब वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी कारण सुमन मुझसे लिपट गई मेरे होठों को अपने होठों से चूसने लगी मैं उनकी पीठ और अगर को सहला रहा था सुमन 10 मिनट तक मेरे होंठ को चूसी अब बड़ा मजा आ रहा था
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गोरी चिट्ठी बहन की चूत
वह जोश में आ रही थी उन्होंने अपने ब्रा और पेटीकोट को भी उतार दिया अब वह सिर्फ़ पेंटी में खड़ी हो गयी मैं उन्हें देखने लगा पूरा शरीर दूध की तरह सफेद उप्पर ये चूची जो कह रही थी आओ मुझे चूसो गुलाबी होंठ जान मर रहे थे मैं उन्हें देख कर पागल हो रहा था, तुरंत ही उनके चूची को हाथों में लेकर मसलने लगा और होठों को चूसने लगा उसके बाद मैं उनके बूब्स को चूसना शुरू किया, उनके बूब्स से दूध निकल रहा था मैंने पूछा सुमन आप के चूची में से तो दूध निकल रहा है वह कुच्छ नहीं बोली अपने हाथ को उनके पेंटी के ऊपर रख कर चुत को मसलने लगा उन्होंने मेरे पेंट में हाथ डाल कर मेरे लंड को सहलाने लगी अब वह और जोश में आ गई मैंने फिर उनकी पेंटी निकल दी वाह क्या चुत है बिन एक बाल का गुलाबी मैंने और छोटी सी ऐसे लग रहा है अभी यह चुत चुदी भी नहीं है मैंने पूछा सुमन जीजा आप को चोदते नहीं हें क्या वह बोली उनका लंड एक दम छोटा है चुत में जाता है पता भी नहीं चलता और जल्दी ही झाड़ जाते है.

मैंने कहा घबराइए मत मैं हूँ ना अब आप की चुत की प्यास बुझेगी, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए उन्होंने मेरे 7 इंच लंबा 3 इंच मोटे लंड को देख कर कहने लगी शशांक तेरा लंड तो बड़ा मोटा है. मैं बोला सुमन आप के भाई का लंड है अब आप की प्यास बुलाएगा सुमन को को बाद पर बता कर दोनों पैरों को फैला कर गुलाबी चुत को चाटने लगा जो गीली थी सुमन बोली ये क्या कर रहे हो मैंने कहा आप बस चुप रहिए मैं चुत को चाटने लगा सुमन की आवाज़ भारी हो रही थी और आहह आआअहह आआआआहह आआआअहह उुउऊहह उउउहह उुउऊहह आआआआआआहह शशांक बड़ा मजा आआराहाआ हैयययययी तेरे जीजा ने कभी भी मेरे चुत को नहीं चाहता तुम चाटो और सारा पानी पी जाऊं,मजा आ रहा है सुमन गड़ उठा उठा कर मेरे जीभ से पेलवाया जा रही थी,मैं चुत से निकले वाले पानी को पिए जा रही मेरा लंड एक दम टन कर खड़ा था सुमन की चुत को 15 मिनट तक चाहता अब सुमन झरने वाली थी सुमन बोली मैं झड़ने वाली हूँ, मैं बोला हुुआाअ उन्होंने पानी छोड दिया मैंने उनका सारा पानी पी गया,
अब दीदी शांत हो गई, बाद पर लेट गई, मैंने कह सुमन ऐसे कम नहीं चलेगा, मैं बाद पर चढ़ कर उनके ऊपर बाद कर लंड को मुंह पर लगा दिया और बोला सुमन मेरे लंड को चूसो सुमन मना कर रही थी मैंने ज़बरदस्ती सुमन के मुंह मैंने लंड को डाल दिया अब सुमन मेरे लंड को चूसने लगी मैं मुंह को चुत समझ कर मुंह को चोदे जा रहा था सुमन फिर से गरम हो रही थी मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी 10 मिनट के बाद मेरे लंड का ज्वाला मुखी फुट और उनके मुंह में मेरे पानी अगर गे वह मेरे लंड को मुंह में से निकल कर लंड के पानी को थूकने जा रही थी मैंने उनके मुंह को अपने होठों से मूंद लिया थूक नहीं पाई और पानी पी गयी मैं उनके गुलाबी होठों को चूस रहा था वह भी,जीभ को सुमन के मुंह के अंदर डाल कर उनके जीभ को चूस रहा था वो मेरे जीभ को चूस रही थी मैं अपने एक होंठ से उनके चुत को सहलाने लगा अब फिर से वो गरम हो गई मेरा लंड भी तब तक खड़ा हो गया मैंने सुमन से कहा सुमन आप पैर फैलाइए सुमन ने पैर फेलाया लंड को चुत की होल पर रख कर एक धक्का दिया मेरा लंड अंदर नहीं गया फिर से मैंने चुत पे लंड रख कर ज़ोर का धक्का दिया

अब मेरा 3 इंच लंड चुत को चीरता हुआ अंदर गया सुमन चिल्ला उठी आआआआआआआहह आआआआअहहााआअ दर्द हो रहा है तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, धीरे से करो मैं एक हाथ से उनके मुंह को मुंडा और लंड को एक और ज़ोर का झटका मारा लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया सुमन के आंखों से आँसू निकालने लगे मैं रुक गया 5 मिनट के बाद सुमन बोली चोद रंडी का भाई अपनी बहन के चुत को रंडी का बना दिया अब चोद मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा अब सुमन को मजा आ रही था साथ में मुझे भी जो पहली बार चुत पाई थी, सुमन आआआआआअहह आआहह आआआअहह आआअहह आआआआआआआअहह भाईईईईईईईईईई आौर ज़ोर सेययययी छोड़ााअ आआआअहह आअहह आआआहह आआहह आआहह मजा आराहाआआआअ है ययय्याआआआआआहह गड़ को उठा उठा कर साथ दे रही थी मैं बोला सुमन आप
अब कुतिया की तरह हो जाए सुमन कुतिया की तरह हो गई मैं उनके पीछे चुत को चोद रहा था सुमन बोली भी काश मैं तेरी बीबी होती मैं बोला सुमन आप जब तक यहां है तब तक मुझे अपना पति समझिए सुमन बोली ठीक है पति देव आआअहहुहहााअ आआअहह उूउऊहह हहााअहह आआआआआआअहह आआआअहह आआआअहहहह आआहह् आआहहा मैं झड़ने वाला था मैं उनकी चुत में झरने वाला था चोदना और तेज कर दिया मेरे से पहले सुमन का ही पानी निकल गया मैं भी सुमन की चुत में ही झाड़ गया हम दोनों बाद पर लेट गई सुमन बोली इससे पहने कभी इतना मजा नहीं आया भाई तूने मेरी तमन्ना पूरी कर दी मैं पुच्छ ओ कैसे वह बोली मैं तुमसे शादी से पहले ही चुदवाना चाहती थी पर तुमने कभी भी मेरे तरफ ध्यान नहीं दिया मैं बोला सुमन कभी भी ध्यान भी नहीं देता मैंने भाई बहन की चुदाई की कहानी पड़ा तभी तो मैंने आप को चोदा सुमन बोली ऊओह तो तुम जानते थे की मैं दरवाजे पर हूँ, मैं बोला हां सुमन…
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सुमन और मैंने उसी दिन रात को 3 बार चुत और लंड का मजा लिया सुमन 5 दिन तक थी हम दोनों ने खूब चुदाई के मजे किया.
———समाप्त———

Naukrani ban Ke Chud Gayi

मेरे ठरकी दोस्तों, ये desi sex story बहुत ही शानदार है। मैं टीचर की जॉब छोडके एक नौकरानी बन गयी क्योंकि उसमे ज्यादा पैसे मिल रहे थे। पर मुझे पैसो के अलावा बहुत कुछ मिला। सारे सुख, तन, मन और धन। पढ़िए मेरा सेक्सी सफ़र और साथ में मुठ ज़रूर मारना, मुझे अच्छा लगेगा-
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मैं अभी २८ की हूँ। मेरे पति का स्वर्गवास हुए १ साल हो गया था। वो एक दुर्घटना में चल बसे थे। मैं एम ए पास हूँ। एक प्राईवेट स्कूल में टीचर थी लेकिन वेतन बहुत ही कम था।
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ विक्रम के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ विक्रम के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”

मेरी तो जैसे किस्मत ही जाग गई। किराये के मकान का खर्चा बच गया और खाना मुफ़्त ! फिर ३००० रुपये तनख्वाह। मैं तुरन्त चाबी ले कर पीछे गई, ताला खोला तो शानदार दो कमरे का मकान, सभी सुविधायें मौजूद थी। मैंने जल्दी से सफ़ाई की और घर आकर जो थोड़ा सा सामान था, दिन को शिफ़्ट कर लिया। मेरा ५ साल का एक लड़का और मैं … और इतना बड़ा घर !
सेठ जी काम पर जा चुके थे। पर घर में ताला था। शाम को जब सेठ जी आये तो मैं उनके पास गई। उन्होंने सारा काम बता दिया। विक्रम सेठ कोई ३५ साल के थे। और मधुर स्वभाव के थे।
मैंने झटपट शाम का खाना बनाया … मेरा खाना क्वार्टर में ही अलग बनता था। उसने हिदायत दी कि मुझे हमेशा नहा धो कर साफ़ रहना है … साफ़ कपड़े … बाल बंधे हुए … एक दम साफ़ सुथरे …… वगैरह। उन्होंने पहले से तैयार नये कपड़े मुझे दे दिये।
विक्रम बहुत मोटे इन्सान थे। कहते हैं कि उनकी बीवी उनके मोटापे के कारण छोड़ कर भाग गई थी। विक्रम का एक दोस्त जो उससे अमीर था और दिखता भी हीरो की तरह था … उसकी रखैल बन कर अलग मकान में रहती थी। विक्रम सेट एकदम अकेले थे।
विक्रम सेठ को अब मैं विक्रम कह पर ही सम्बोधित करूंगी। विक्रम को जिम जाते हुए २ महीने हो चुके थे। उनका मोटापा अब काफ़ी कम हो चुका था। शरीर गठ गया था। मैं भी अब अब उनकी ओर आकर्षित होने लगी थी। औरत मर्द की जरूरत है, ये मैं जानती थी। मेरा ज्यादातर समय खाली रहने में ही गुजरता था। खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
मैं भी भरपूर जवान थी। मेरे स्तन भी पुष्ट थे और पूरा उभार लिये हुए थे। मेरा जिस्म भी अब कसमसाता था। रह रह कर मेरे उरोज़ कसक जाते थे। रह रह कर अंगड़ाइयां आने लगती थी, कपड़े तंग से लगते थे। मेरे आगे और पीछे के निचले भाग भी अब शान्त होने के लिये कुछ मांगने लगे थे।
एक बार रात को लगभग १० बजे मुझे ख्याल आया कि मुख्य गेट खुला ही रह गया है। सोने से पहले मैं जब बाहर निकली तो मैंने देखा कि विक्रम की खिड़की थोड़ी सी खुली रह गई थी। मैंने यूं ही अन्दर झांका तो मेरे बदन में जैसे चींटियां रेंगने लगी।
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गज़ब की मस्ती चढ़ी थी मुझपे
विक्रम बिलकुल नंगा खड़ा था और कुछ देख कर मुठ मार रहा था। मैं वहीं खड़ी रह गई। मेरा दिल धक धक करने लगा था। शायद वो कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा था और मुठ मार रहा था। मेरा हाथ बरबस ही चूत पर चला गया और दबाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी … जहाँ मैं चूत दबा रही थी वहाँ पेटीकोट गीला हो गया था।
उसके मुँह से वासना भरी गालियाँ निकल रही थी। चोद साली को और चोद … मां चोद दे इसकी … हाय। …
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भोसड़ी के क्या लण्ड है … ऐसा ही मुँह से अस्पष्ट शब्द बोले जा रहा था। फिर उसके मुँह से आह निकल गई और उसके लण्ड से लम्बी पिचकारी निकल पड़ी। वीर्य लण्ड से झटके खा खा कर निकल रहा था।
मेरा दिल डोलने लगा। मेरी छाती धड़कने लगी। पसीने की बून्दें छलक आई। मैं वहां से हट कर मुख्य द्वार को बन्द कर आई।
उस रात मुझे नीन्द नहीं आई। बस करवट बदलती रही। चुदने के विचार आते रहे। विक्रम का लण्ड चूत में घुसता नजर आने लगा था। जाने कब आंख लग गई। सुबह उठी तो मन में कसक बाकी थी।
खड़ी हो कर मैंने अंगड़ाई ली और अपने बोबे को देखा और धीरे से उसे मसलने लगी, मुझे मेरी चोली तंग लगने लगी थी और फिर ब्लाऊज के बटन बन्द करने लगी। सामने जाली वाली खिड़की से विक्रम मुझे ये सब करते हुए देख रहा था। मेरा दिल धक से रह गया। मैंने यूँ दर्शाया कि जैसे मैंने विक्रम को देखा ही नहीं। पर मुझे पता चल गया कि विक्रम मेरे अंगों का रस लेता है।
मैं भी अब छिप छिप के खिड़की से उसकी सेक्सी हरकतें देखने लगी। और फिर घर में आ कर खूब तड़पने लगती थी। कपड़े उतार फ़ेंकती थी, जिस्म को दबा डालती थी। विक्रम अब भी खिड़की पर छुप छुप कर मुझे देखता था। सिर्फ़ उसे बहकाने के लिये अब मैं भी दरवाजे पर कभी अपने बोबे दबाती और कभी चूत दबाती थी ताकि वो भी मेरी तरह तड़पे और वासना में आकर मुझे चोद दे।
पर वो मेरे सामने नोर्मल रहता था। मेरी चोली अब छोटी पड़ने लग गई थी। उरोज मसलते मसलते फ़ूलने और बड़े होने लग गये थे। एक बार तो जब वो खिड़की से देख रहा था मैंने एक मोमबत्ती ले कर उसके सामने अपनी चूत पर रगड़ ली थी।

इसी तरह छ: माह बीत गये। इसी बीच विक्रम ने मेरी तनख्वाह ५००० रुपये कर दी थी। ये सब मेरी सेक्सी अदाओं का इनाम था।
मुझे भी अब चुदने की इच्छा तेज़ होने लगी थी। इन दिनों विक्रम के जाने के बाद मैं अक्सर उनके बेडरूम में जाकर टीवी देखती थी। आज मैंने कुछ सीडी टीवी के पास देखी। मैंने यूं ही उसे उठा ली और देखने लगी। एक सीडी मुझे लगा कि ये शायद ब्ल्यू फ़िल्म है। मैंने उनमें से एक सीडी प्लेयर में लगाई और देखने लगी।
उसे देखते ही मैं तो एकदम उछल पड़ी। मेरा अनुमान सही निकला, वो ब्ल्यू फ़िल्म ही थी। मैं जिंदगी में पहली बार ब्ल्यू फ़िल्म देख रही थी। मेरे दिल की एक बड़ी हसरत पूरी हो गई … बहुत इच्छा थी देखने की।
सीन आते गये मैं पसीने में तर हो गई। मेरे कपड़े फिर से तंग लगने लगे, लगता था सारे कपड़े उतार फ़ेंको। मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और अपना दाना मसलने लगी। कभी कभी अंगुली अन्दर डाल कर चूत घिस लेती थी … । मेरी सांसें और धडकन तेज हो चली थी।


अचानक मैंने समय देखा तो विक्रम का लंच पर आने का समय हो गया था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। अपने आप को संयत किया और अपने कपड़े ठीक कर लिये और डायनिंग टेबल ठीक करने लगी।
मेरी नजरें अब बदल गई थी। मर्द के नाम पर बस विक्रम ही था जिसे मैं रोज देखती थी। मैंने उसे नंगा भी देखा … मुठ मारते भी देखा … पेंसिल को खुद की गांड में घुसाते हुए भी देखा … । मेरे दिल पर ये सब देख कर मेरे दिल पर छुरियाँ चल जाती थी।
मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े बदल आई और हल्की सी ड्रेस पहन ली, जिससे मेरे उरोज और जिस्म सेक्सी लगे। मैं वापस आ कर विक्रम का इन्तज़ार करने लगी। विक्रम ठीक समय पर आ गया।
आते ही उसने मुझे देखा और देखते ही रह गया। वो डायनिंग टेबल पर बैठ गया। मैं झुक झुक कर अपने बोबे हिला कर खाना परोसने लगी। वो मेरे ब्लाऊज में बराबर झांक रहा था। मेरे बदन में कंपकंपी छूटने लगी थी। अब मैं उसे जवान और सेक्सी नजर आने लगी थी।
मैंने उसके पीछे जा कर अपने बोबे भी उससे टकरा भी दिये, फिर मैं भी सिहर उठी थी। उसने अपना खाना समाप्त किया और अपने कमरे में चला गया। मैं उसे झांक कर देखती रही। अचानक उसकी नजर सीडी पर पड़ी और वो पलक झपकते ही समझ गया।
विक्रम अपने बिस्तर पर लेट गया और आंखें बन्द कर ली। विक्रम के मन में खलबली मची हुई थी। मुझे लगा कि विक्रम काफ़ी कुछ तो समझ ही गया है।
मैं उसके बेडरूम में आ गई। कही से तो शुरु तो करना ही था,”सर मोजे उतार दूँ?”
“ह … हां … उतार दो … और सुनो क्या तुम मेरी कमर दबा सकती हो … ?” उसने मुझे पटाने की एक कोशिश की। मेरा दिल उछल पड़ा। मुझे इसी का तो इन्तज़ार था।
मैंने शरमा कर कहा,”जी … दबा दूंगी … !”
मुझे कोशिश करके आज ही उसे जाल में फांस लेना था और अपनी चूत की प्यास बुझा लेनी थी। आखिर मैं कब तक तड़पती, जब कि विक्रम भी उसी आग में तड़प रहा था। विक्रम ने अपनी कमीज उतार दी।
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इतने में बाहर होर्न की आवाज आई। मुझे गुस्सा आने लगा। मेरा बेटा सचिन स्कूल से आ गया था। कही गड़बड़ ना हो जाये, या मूड बदल ना जाये।
“सर … मैं अभी आई … !” कह कर मैं जल्दी से बाहर आई और सचिन को कहा कि वो खाना खा ले और फिर आराम कर ले। मैं सेठ जी को लन्च करा कर आती हूँ। उसे सब समझा कर वापस आ गई।
विक्रम ने अपना ढीला सा पजामा पहन लिया था और उल्टा लेटा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठाई और बिस्तर पर बैठ गई। मैंने तेल उसकी कमर में लगाया और उसे दबाने लगी। उसे मजा आने लगा। मैं उसे उत्तेजित करने के लिये उसकी चूतड़ों की जो थोड़ी सी दरार नजर आ रही थी उस पर भी तेल लगा कर बार बार छू रही थी।
“रानी … तेरे हाथों में जादू है … जरा नीचे भी लगा दे … ” मैं समझ गई कि वो रंग में आने लगा है। गर्म लोहे पर चोट करनी जरूरी थी, वरना मौका हाथ से निकल जाता।
मैंने कमर से थोड़ा नीचे दरार के पास ज्यादा मलना शुरू कर दिया, और अपना हाथ उसके चूतड़ के उभारों को भी लगा देती थी। मुझे लगा कि उसका लण्ड अब बिस्तर से दब कर जोर मार रहा है। उसके जिस्म की सिहरन मुझे महसूस हो रही थी। मौका पा कर इस स्थिति का मैंने फ़ायदा उठाया।
मैंने कहा,”सर अब सीधे हो जाओ … आगे भी लगा देती हूं … !” जैसे ही वो पलटा, उसका तन्नाया हुआ लण्ड सामने खड़ा हुआ आ गया।
मैं सिहर उठी,”हाय राम … ! ये क्या … !” मैंने अपना चेहरा छिपा लिया।
विक्रम ने कहा,”सॉरी रानी … ! मेरे जिस्म पर सात-आठ महीने बाद किसी औरत का हाथ लगा था … इसलिये भावनायें जाग उठी !” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“सर जीऽऽऽ … शरम आती है … मैंने भी किसी मर्द को बहुत समय से छुआ ही नहीं है … !” मैंने आंखों पर से हाथ हटा लिया … और जैसे हामी भरते हुये विक्रम का साथ दिया।
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“फ़िल्म कैसी लगी थी … मजा आया … ?”
“ज् … जी … क्या कह रहे है आप … ?” मैं सब समझ चुकी थी … मैं जानबूझ कर शरमा गई। बस विक्रम की पहल का इन्तज़ार था, सो उसने पहल कर दी। मेरी चूत फ़ड़क उठी थी। मैंने अपना हाथ नहीं छुड़ाया … वह मेरा हाथ खींच कर अपने और समीप ले आया।
मेरा बदन थरथरा उठा। चेहरे पर पसीना आ गया। मेरी आंखें उसकी आंखों से मिल गई … मैं होश खोने लगी … अचानक मेरी चूंचियो पर उसके हाथ का दबाव महसूस हुआ … वो दब चुकी थी … मैं सिमट गई,”सर प्लीज …! नहीं … मैं मर जाऊंगी …! ”
विक्रम ने तकिये के नीचे से एक पांच सौ का एक पत्ता मेरी चोली में घुसा दिया। पांच सौ रुपये मेरे लिये बड़ी रकम थी … मैं पिघल उठी। मेरा कांपता जिस्म उसने भींच लिया। मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
“पसीना पोंछ लो !” उसने चादर के एक कोने से मेरा चेहरा पोंछ दिया और मेरे नरम कांपते होंठ को उसने अपने होंठों से दबा लिये। मेरी इच्छा पूरी हो रही थी। पैसे भी मिल रहे रहे थे और अब मैं चुदने वाली थी। मेरा शरीर वासना की आग में सुलग उठा। चूत पानी छोड़ने लगी, शरीर कसमसाने लगा। उसके बलिष्ठ बाहें मुझे घेरने लगी। मेरा हाथ नीचे फ़िसलता हुआ उसके लण्ड तक पहुंच गया।
मैंने इज़ाज़त मांगी … “सर … छोटे साहब को … ?”
“रानी … मेरी रानी … जरा जोर से थामना … कहीं छूट ना जाये …!” उसने अपने लण्ड को और ऊपर उभार लिया। मेरा हाथ उसके लण्ड कर कस गया। उसने मुझे एक ही झटके में बिस्तर पर खींच कर पटक दिया। और सीधे मेरी चूत पर वार किया। मेरी चूत को हाथ अन्दर डाल कर दबा दी। मैं तड़प उठी। वो चूत मसलता ही गया। मैं छटपटाती ही रही। पर उसका हाथ अलग नहीं हटाया।

“हाऽऽऽय … रे … सर जी … मर गई … क्या कर रहे हो … आऽऽह … माई रे … ” मेरी खुशी भरी तड़पन उसे अच्छी लगने लगने लगी।
“कहां थी तू अब तक रे … क्या मस्त हो रही है … ” विक्रम नशे में बोला। मेरी चूत दबा कर कर मसलता रहा … पर ये ५०० रुपये का नशा भी साथ था … उसकी इच्छा मुझे पूरी जो करनी थी। मेरे सारे कपड़े एक एक कर उतरते जा रहे थे। हर बार मैं जानकर नाकाम विरोध करती …!
अन्तत: मैं वस्त्रहीन हो गई। मेरी चूंचियाँ बाहर छलक पड़ी … मेरा नंगा जिस्म चमक उठा। मैंने नशे में अपनी आंखे खोली तो विक्रम का बलिष्ठ शरीर नजर आया … जिसे मैं छुप छुप कर कितनी बार देख चुकी थी। उसका चेहरा मुझे अपनी चूत की तरफ़ झुकता नजर आया। मेरी क्लीन शेव चूत की पंखुड़ियों के बीच रिसता पानी उसे मदहोश करने लगा।
उसकी जीभ का स्पर्श मुझे कंपकपाने लगा।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा,”सर … नहीं प्लीज … मत करिये … ” पर उसने मेरी टांगों को चीर कर चूत और खोल दी और उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये … मैंने अपनी चूत मस्ती में और उभार दी।

“रानी … ना ना करते पूरी चुद जाओगी … ” कह कर उसने चूत पर जीभ गहरी घुसा कर निकाल ली … मैं उत्तेजना से कसमसा उठी। अब मेरा दाना और चूत दोनों ही जीभ से चाट रहा था। बहुत साल बाद मुझे फिर से एक बार ये सुख मिल रहा था।
उसने मुझे घुमा कर उल्टी कर दिया और चूतड़ों को थपथपाने लगा। यानि अब मेरी गांड की बारी थी … ! मेरा दिल खुशी के मारे उछल पड़ा। गाण्ड चुदवाना मेरा पहला शौक रहा है उसके बाद फिर चूत की चुदाई का आनन्द … !”
“सर नहीं ये नहीं … प्लीज … मेरी फ़ट जायेगी !” मैंने अपने नखरे दिखाए … पर ये क्या … विक्रम ने एक ५०० का नोट और लहरा दिया …
“ये इस प्यारी गाण्ड चुदाई के मेरी रानी … !” मैं और पिघल उठी … मेरे मन चाहे काम के अब मुझे १००० रुपये मिल चुके थे, इससे ज्यादा और खुशी क्या हो सकती थी। विक्रम ने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे चूतड़ो को चीर के छेद पर टपका दिया। और उछल कर मेरी पीठ पर चढ़ गया … कुछ ही देर में उसका लण्ड मेरी गांड के छेद में घुस चुका था। दर्द झेलना तो मेरी आदत बन चुकी थी।
“आह रे … घुस गया सर … !”
” रानी तू कितनी अच्छी है … पहले कहां थी रे … !”
“आप ही ने मुझ गरीबन पर ध्यान नहीं दिया … हाय गाण्ड चुद गई रे … !”
” रानी … मैं तुझे रानी ही बना कर रखूंगा … तूने तो मुझे खुश कर दिया है आज … !”
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धचक धचक लण्ड घुसता रहा … मेरी गाण्ड चुदती रही … आज मेरी गाण्ड को लण्ड का प्यारा प्यारा मजा मिल गया था। मैं विक्रम की अहसानमन्द हो चुकी थी। मैंने भी अब थोडी सी मन की करने की सोची … और कहा,”सर … आप कहे तो मैं अब आपको चोद दूँ …?”
“कैसे … आदमी कैसे चुद सकता है … ?”
“आप बिस्तर पर सीधे लेट जाईए … मैं आपके खड़े लण्ड पर बैठ कर आपको चोदूँगी … ” विक्रम हंस पड़ा।
“छुरी तरबूज पर पड़े या तरबूज छुरी पर … चुदेगी तो चूत ही ना … ” मैं शरमा गई।
“हटो जी … आ जाओ ना … !”विक्रम नीचे लेट गया … उसका खड़ा लण्ड मेरी चूत को चुनौती दे रहा था। मैं धीरे से उसके लण्ड पर निशाना लगा कर बैठ गई। पर विक्रम को कहाँ चैन था। उसने नीचे से ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरी चूत को लपेटे में ले लिया और चूत को चीरता हुआ लण्ड अन्दर घुस पड़ा।
मेरा बेलेन्स गड़बड़ा गया और धच्च में लण्ड पर पूरी बैठ गई। मेरे मुख से चीख निकल पड़ी। लण्ड चूत की पूरी गहराई पर जाकर गड़ चुका था। मेरी चूत से थोडा सा खून निकल पड़ा। मैंने अंगुली से देखा तो लाल रंग … पर ये तो लड़कियों के साथ चुदाई में साधारण सी बात होती है। पर विक्रम घबरा उठा,”अरे … ये क्या … खून … सॉरी … !”
मैंने उसके होंठो पर अंगुलि रख दी … “चुप रहो न … करते रहो … !”
पर इसका मुझे तुरन्त मुआवजा मिल गया … एक ५०० रुपये का नोट और लहरा उठा। ये विक्रम क्या कर रहा है? १५०० रुपये मेरे लिये बहुत बड़ी रकम थी।
“नहीं चाहिये मुझे …” पर उसने मुझे दिये हुए नोटो के पास उसे रख दिया। हमारा कार्यक्रम आगे बढ़ चला … अब मुझे पूरी जी जान से उसे सन्तुष्ट करना ही था। मैंने अपनी चूत अन्दर ही अन्दर सिकोड़ ली और टाईट कर ली … फिर उसके लण्ड को रगड़ना शुरू कर दिया। टाईट चूत करने से मेरी चूत को चोट भी लग रही थी … पर विक्रम को तंग चूत का मजा आने लगा था।
पर नतीजा … मैं चरमसीमा पर पहुंच गई … साथ ही विक्रम भी अपना शरीर लहराने लगा।
“मेरी जानु …मेरी जान … मैं तो गया … निकला जा रहा है अब … रानीऽऽऽ हाय … ऊईईईऽऽऽऽ ” विक्रम के साथ साथ मेरा भी रस निकलने लगा … उसका लण्ड भी मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा। हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मैं तो पूरी झड़ चुकी थी … उसका वीर्य को मेरी चूत में लिपट कर निकालने का मौका दे रही थी … कुछ ही देर में हम दोनो निढाल पड़े थे।

विक्रम उठा और पास में पड़ा तौलिया लपेट कर बाथरूम में चला गया। मुझे भी कुछ नहीं सूझा तो मैं भी उसी के साथ बाथरूम में घुस गई और पानी से अपनी चूत और लगा हुआ वीर्य साफ़ करने लगी।
“आज तो रानी … तुमने मेरी आत्मा को प्रसन्न कर दिया … अब एक काम करो … सामने ब्यूटी पार्लर में जाओ और उससे कहना कि मैंने भेजा है … ”
मैं सर झुकाये बाहर आकर कपड़े पहनने लगी। और नोट गिन कर अपने ब्लाऊज में सम्हाल कर रखने लगी। पर ये क्या … विक्रम ने झटके मेरे हाथों से सारे नोट ले लिये …
“क्या करोगी इनका … ये तो कागज के टुकड़े हैं … ” मेर दिल धक से रह गया … मेरे होश उड़ गये, रुपये छिनने से मुझे ग्लानि होने लगी।
पर दूसरे ही क्षण मेरे चेहरे पर दुगनी खुशी झलक उठी। विक्रम ने अलमारी खोल कर गहने मेरी ओर उछाल दिये,”सजो मेरी रानी … आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं … घरवाली की तरह रहोगी … और रहे रुपये ! तो ये सब तुम्हारे है …!
———–समाप्त———–